पर्दा
- 46 Posts
- 343 Comments
बादल बेशर्म हो गए हैं। गर्मी का मौसम भी सर्द है। रात पहर-दोपहर की बात नहीं रही अब। 24 घंटा एक समय है। काइयां कच्छपों ने उलूक को मूर्खता का प्रतीक घोषित कर दिया है और लक्ष्मी ने सवारी गांठ ली है। दर्प के टूटने का समय है। पन्नों पर स्याही फैली है और हमने गीले तकिये को सिरहाने से हटाकर छत की मुंडेर पर रख दिया है।
Read Comments